Indian Space Research Organization (ISRO) ने Chandrayaan-3 के बाद Chandrayaan 4 मिशन को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है। इस मिशन के बारे में latest update में बताया गया है कि Chandrayaan 4 कैसे काम करेगा। इस बारीकी से बताया गया है कि Chandrayaan 3 में तीन module थे, जबकि इस बार Chandrayaan 4 में पांच module होंगे। ये module soft landing से लेकर sample collect करने और सुरक्षित वापस लौटने के काम में सहायक होंगे।
Chandrayaan 4 मिशन की एक खासियत यह है कि इसमें पांच 5 module शामिल होंगे, जो कि चंद्रयान के विभिन्न कार्यों को संचालित करेंगे। इन modules का details निम्नलिखित है:

- Main Module Chandrayaan 4 मिशन का मुख्य हिस्सा होगा, जो इसके कार्यों को संचालित करेगा। इसमें निर्देशक तंतु, उत्तेजक तंतु, और अन्य संचार के उपकरण होंगे, जो कि मिशन को सम्पूर्णत: संचालित करेंगे। इस मॉड्यूल का मुख्य कार्य चंद्रयान की गतिशीलता और प्रत्येक अनुभाग के सही समय पर कार्य को संचालित करना होगा। निर्देशक तंतु चंद्रयान की दिशा को स्थायी रूप से बनाए रखेगा, जबकि उत्तेजक तंतु इसे गतिशीलता में बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगा। इसमें शामिल अन्य संचार के उपकरण भी मिशन की संचार और संवाद को समर्थन करेंगे।
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- Landing Module चंद्रयान को संचालित करने वाले इंजनों को संचालित करेगा। इसमें लैंडिंग गियर, संवेदनशील गाड़ी, और अन्य आवश्यक उपकरण होंगे, जो कि चंद्रयान की सफल लैंडिंग की सुनिश्चित करेंगे। यह मॉड्यूल चंद्रयान को समुद्री सतह पर स्थिर करने और उसके लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
This is what we know so far about #ISRO's Moon sample return mission Chandrayaan-4:
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) March 5, 2024
The mission will involve a PSLV & a LVM3 launch & consist of 5 modules – Ascender, Descender, Propulsion, Transfer & Re-entry module.
Here's a graphic showcasing each module & their functions 👇 pic.twitter.com/ZCRduWoqY0
- Sampling Module चंद्रयान-4 मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, जो सैंपल एकत्र करने और उसे संचालित करने के लिए बनाया जाएगा। इसमें नमूना लेने के उपकरण और सैंपल को सुरक्षित रखने के उपकरण होंगे, जो कि चंद्रयान द्वारा ग्रह की सतह से प्राप्त किए गए सैंपल्स को संचालित करेंगे। इस मॉड्यूल का मुख्य उद्देश्य ग्रह की सतह से सैंपल्स को सुरक्षित रूप से एकत्र करना और उन्हें सही स्थान पर भेजना होगा। यह सैंपल वॉल्ट, नमूना लेने के नियंत्रक, और सैंपल रिटेनशन सिस्टम के साथ लैस होगा, जो कि सैंपल्स को प्राप्त करने, संचालित करने, और उन्हें सुरक्षित रखने के कार्यों को संभालेगा।

- Returning Module चंद्रयान को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए होगा। इसमें अपडेटेड निर्देशक तंतु, संवेदनशील तंतु, और स्थायी लैंडिंग गियर होंगे, जो कि चंद्रयान को धीरे-धीरे और सुरक्षित रूप से पृथ्वी के सतह पर ले आएंगे। यह मॉड्यूल चंद्रयान के पृथ्वी के आकार के अनुसार बनाया जाएगा ताकि वापसी के दौरान कोई भी अनियंत्रितता न हो। इसमें सुरक्षित लैंडिंग के लिए विभिन्न गियर, संवेदनशील तंतु, और निर्देशक तंतु शामिल होंगे, जो चंद्रयान को सुरक्षितता से पृथ्वी के सतह पर ले आएंगे।
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- Communication Module चंद्रयान की संचार जरूरतों को पूरा करेगा। इसमें उच्च गुणवत्ता के एंटेना, संवेदनशील इंजन, और संचार के अन्य उपकरण होंगे जो कि चंद्रयान के संचार के लिए आवश्यक होंगे। यह मॉड्यूल चंद्रयान और ग्रहसंचार केंद्रों के बीच संचार सुनिश्चित करेगा। इसमें उच्च गुणवत्ता के एंटेना होंगे जो लगातार संपर्क को बनाए रखने में मदद करेंगे। संवेदनशील इंजन और अन्य उपकरण भी संचार के लिए महत्वपूर्ण होंगे और चंद्रयान को संचार की सुरक्षित और सही दिशा में निर्देशित करने में मदद करेंगे।
ISRO के चीफ एस सोमनाथ ने भी इस मिशन के बारे में जानकारी को साझा की है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया कदम होगा और science and technology में नए उपायों की खोज के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा। इससे भारत का अंतरिक्ष में मान और प्रतिष्ठा मजबूत होगा और यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के विकास में।
Chandrayaan 4 मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा, जिससे देश को अंतरिक्ष संबंधी तकनीकों और विज्ञान में आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, यह मिशन भारत की अंतरिक्ष उद्योग को भी एक बड़ी बढ़त देगा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। इसलिए, Chandrayaan 4 मिशन देश के विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की गरिमा को और भी ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
Chandrayaan 4 के लांचिंग से रिटर्न तक पूरी प्रक्रिया
Chandrayaan 4 का मिशन जापान की JAXA के साथ ISRO joint mission है जिसे H3 रॉकेट से launch किया गया है। इस मिशन में Chandrayaan 4 को साथ में 5 module लेकर जाया जाएगा, जो विभिन्न कार्यों के लिए design किए गए हैं। First Module ascender module होगा, जो चंद्रयान को पृथ्वी की northern polar circle तक ले जाएगा। इसके बाद, descender module चंद्रयान को moon surface पर उतारेगा। Propulsion module चंद्रयान को चाँद की सतह से वापस पृथ्वी तक ले जाएगा। Transfer module चंद्रयान को पृथ्वी से चाँद की सतह तक पहुंचाने में सहायक होगा। Re-entry module चंद्रयान को पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाएगा।

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Chandrayaan 4 दो चरणों में लॉन्च हो सकता है, जो इसे unique बनाता है। पहले चरण में, ascender module और descender module चंद्रयान को संगठित रूप से चाँद की सतह पर पहुंचाएंगे। दूसरे चरण में, Propulsion , Transfer , और Re-entry module चंद्रयान को पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाने के लिए काम करेंगे। इस तरह के दो चरणों में लॉन्च करने से मिशन की सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और इसे सुनिश्चित किया जाता है कि हर चरण में उपकरणों की सटीकता और प्रदर्शन को सुनिश्चित किया जा सके। इस तरह का मिशन हमारे वैज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी प्रगति होगी और भारत और जापान के बीच वैज्ञानिक सहयोग को मजबूती मिलेगी।
Chandrayaan 4 का उद्देश्य
Chandrayaan 4 का मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में। इसे पहले पृथ्वी से लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद यह चांद पर लैंडिंग करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य है चांद की चट्टानों के नमूने एकत्र करना और धरती पर लाना। Chandrayaan 4 को चांद पर लैंड करके उसकी भूमि की गहराई में छुपे रहस्यों को खोलने का काम किया जाएगा।
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इस मिशन का पहला चरण पृथ्वी से लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद चांद पर लैंडिंग के लिए तैयार होगा। चांद की सतह से लॉन्च होने के बाद, यह धरती की ओर फिर से दिशा बदलेगा। इस प्रक्रिया के दौरान, Chandrayaan 4 का वजन भी बदल जाएगा। पहली बार लांचिंग के समय, इसका कुल वजन 5200 किलोग्राम तक होगा, जबकि चांद की सतह से लॉन्च होने पर इसका वजन 1527 किलोग्राम हो जाएगा। इस वजन कम होने से चंद्रयान-4 आसानी से धरती की ऑर्बिट में दाखिल हो सकेगा और अपना कार्य पूरा कर सकेगा।
Chandrayaan 4 के माध्यम से, हमें चांद की चट्टानों के नमूने मिलेंगे, जो उसकी गहराई में छिपे रहस्यों को समझने में मदद करेंगे। इससे हमें चंद्रमा के गणितीय, भौतिकीय, और भौतिक गुणों का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा, जो हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नए दरवाजे खोल सकता है। इससे हमें अंतरिक्ष के और भी गहराई को समझने का अवसर मिलेगा और चंद्रमा की विज्ञान में नई प्राप्तियों की दिशा में प्रगति होगी।
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