Abhishek Bachchan : जब भी कोई स्टार किड बॉलीवुड में डेब्यू करता है, उम्मीद की जाती है कि वे अपने माता-पिता की तरह व्यवहार करेंगे। दर्शक भूल जाते हैं कि कोई स्टार समय के साथ परिपक्व होता है। आज हम बॉलीवुड के एक स्टार किड के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने एक के बाद एक 15 फ्लॉप फिल्में दीं, लेकिन फिर भी सफलता हासिल की..।
अमिताभ बच्चन से हुई तुलना
अमिताभ बच्चन, जिन्हें महानायक के रूप में सम्मानित किया जाता है, उनके बेटे अभिषेक बच्चन का बॉलीवुड में डेब्यू होना एक बड़ी घटना थी। जब Abhishek Bachchan ने अपना पहला कदम फिल्म इंडस्ट्री में रखा, तो उन्हें सीधे उनके पिताजी अमिताभ बच्चन के साथ तुलना की गई। लेकिन उनकी पहली फिल्म “रिफ्यूजी” ने दर्शकों की उम्मीदों को खारिज किया और इसे बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हो गई।

इस पहले डिजास्टर के बावजूद, Abhishek Bachchan ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपने करियर को सुधारते गए। उन्होंने बाद में कई फिल्में की और अच्छे रिजल्ट्स प्राप्त किए। उनकी सफलता का सबसे बड़ा मोमेंट उनकी फिल्म “गुरु” मानी जाती है, जिसमें उनकी एक्टिंग को सराहा गया और उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
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Abhishek Bachchan ने समय के साथ अपने अपने क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है और उन्होंने दिखाया है कि उनमें किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है। उन्होंने बताया है कि उनके पिताजी के समर्पण और संघर्ष ने उन्हें अपने मंज़िल की ओर बढ़ने में मदद की हैं। उनकी कहानी दिखाती है कि हार को अपनाना और उससे सीखना हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण हो सकता है।
Abhishek Bachchan एक साथ 15 फ्लॉप फिल्म देने का रिकॉर्ड
‘रिफ्यूजी’ के बाद, Abhishek Bachchan ने ‘तेरा जादू चल गया’, ‘ढाई अक्षर प्रेम के’, ‘बस इतना सा ख्वाब है’ जैसी फिल्मों में अपना हाथ आजमाया, लेकिन ये सभी चर्चा में रहीं और बॉक्स ऑफिस पर उच्चतम चरण को हासिल नहीं कर सकीं। इन फिल्मों में अभिषेक ने अपनी एक्टिंग के प्रदर्शन के लिए कुछ सामान्य प्रashंसा प्राप्त की, लेकिन वे अभी तक अपनी बॉलीवुड यात्रा में सफलता के मार्ग पर नहीं थे।
इस समय में, Abhishek Bachchan ने कई चुनौतीयों का सामना किया और बराबरी का मुकाबला किया। उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत और संघर्ष के साथ अपने क्षेत्र में अपनी जगह बनाई। इस दौरान, उन्होंने अपने करियर को सुधारने के लिए कई सोची-समझी चयन किए और विभिन्न तरह की भूमिकाओं में दिखने का सामना किया।

Abhishek Bachchan की मेहनत ने उन्हें अच्छे परिणाम दिए और उन्हें बॉलीवुड में एक स्थायी स्थान दिलाया। ‘गुरु’ जैसी चर्चित फिल्मों ने उन्हें अच्छे रिजल्ट्स दिए और इससे उनका करियर एक नए मोड़ पर आया।
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यह उनके लिए एक सीधा साबित हुआ कि चुनौतियों और असफलता के बावजूद, मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कोई भी कार्य संभावनाएं पैदा कर सकता है। अभिषेक बच्चन ने इस प्रकार के संदेश के माध्यम से दिखाया कि वे अपने मुकाबले को कैसे पार करते हैं और अपने करियर को कैसे सुधारते हैं।
तुम पिता का नाम खराब कर रहे हो…
Abhishek Bachchan ने मीडिया को एक इंटरव्यू में यह बताया कि एक बार एक महिला सिनेमाहॉल ने उन्हें थप्पड़ मारकर कहा, “‘मेरी एक फिल्म देखने के बाद एक महिला सिनेमाहॉल से बाहर आईं और उन्होंने मुझे थप्पड़ मारते हुए कहा कि तुम्हे एक्टिंग छोड़ देनी चाहिए। तुम अपने पिता का नाम खराब कर रहे हो।'”

‘गुरु’ बनकर हासिल किया सुपरस्टार का रुतबा
Abhishek Bachchan, बॉलीवुड के प्रमुख अभिनेता और उद्यमप्रेमी, ने अपने करियर की शुरुआत में कई मुश्किलें झेलीं और विफलताओं का सामना किया। हालांकि उनकी पहली फिल्म ‘रिफ्यूजी’ फ्लॉप हुई थी, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ अपने करियर को बदलकर दिखाया है कि उनमें कुछ खास है।
साल 2000 में ‘रिफ्यूजी’ के साथ अभिषेक ने बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया था, लेकिन फिल्म ने उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में सफलता नहीं दी। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़कर अपने करियर को स्थापित करने का संकल्प किया।
उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था जब उन्होंने 2004 में रोमैंटिक थ्रिलर ‘धूम’ में एक गैंगस्टर का किरदार निभाया। फिल्म की सफलता ने उन्हें चर्चा में लाया और उन्हें बॉलीवुड में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में पहचाना। ‘धूम’ ने उन्हें नए रूप में प्रस्तुत किया और दर्शकों को उनकी अद्वितीय अभिनय कला दिखाई।
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इसके बाद, उन्होंने ‘बंटी और बबली’ (2005) में एक साहसिक फोरेन्सिक ऑफिसर के रूप में नजर आए और फिर ‘गुरु’ (2007) में एक उद्यमिता के पुत्र का किरदार निभाया। ‘गुरु’ में उनका अभिनय उच्चतम मानकों को छूने के लिए पहुंचा और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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Abhishek Bachchan ने फिर विभिन्न रोल्स में अपनी अद्वितीय भूमिकाओं के लिए प्रशंसा प्राप्त की। उन्होंने ‘कबहुलीवुड बॉय’ (2008), ‘दोस्ताना’ (2008), और ‘पा’ (2009) जैसी फिल्मों में भी साबित किया कि वे एक अभिनेता के रूप में हर कदम पर उनका उत्साह बढ़ता गया और वह एक अभिनेता के रूप में हर कदम पर उनका उत्साह बढ़ता गया और वहनई दिशाओं में बढ़ते गए। ‘गुरु’ नामक फिल्म में उनका अभिनय बहुत प्रशंसा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने एक सीरीज़ के रूप में कई व्यापारिक और कला की दृष्टि से सफलता प्राप्त की। उनकी ‘धूम’, ‘बंबई टॉकीज’, ‘कबील’, और ‘बुन्टी और बबली’ जैसी फिल्में हिट हो गईं, जिनसे उन्हें समर्थन और प्रशंसा मिली।
Abhishek Bachchan ने अपने करियर की मेहनत और संघर्ष के बावजूद अपने अद्वितीय अभिनय के माध्यम से बॉलीवुड में एक सशक्त और प्रभावशाली हस्तक्षेप का हिस्सा बना है। उनकी सफलता और स्थायिता ने दिखाया है कि उम्र और परिस्थितियों के बावजूद, संघर्ष और आत्मविश्वास के साथ, कोई भी मुश्किल हालातों का सामना करके अच्छी तरह से सफलता प्राप्त कर सकता है।
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