आजकल Credit Card, डेबिट कार्ड और प्रीपेड कार्ड का उपयोग हर किसी के जीवन में आम हो गया है। लेकिन हाल ही में आई नई गाइडलाइंस के अनुसार, इन कार्डों का इस्तेमाल करने वालों को सतर्क रहने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की गई ये नई दिशानिर्देश कार्ड होल्डर्स की सुरक्षा और सम्मिलित सुरक्षा अनुभव को सुनिश्चित करने के लिए हैं।
यह नए नियम Credit Card और डेबिट कार्ड के लिए सुरक्षा और प्राइवेसी को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से कुछ मुख्य बदलावों में शामिल हैं शीर्ष बदलाव कार्ड नंबर की समाप्ति है। अब कार्ड के पहले 6 और आखिरी 4 अंक ही प्रदर्शित किए जाएंगे। इससे क्रेडिट और डेबिट कार्ड का अपवाद प्रदान किया जाएगा और उपभोक्ता की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।
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इसके अतिरिक्त, ये नियम Credit Card और डेबिट कार्ड के अनुसार अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं। अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड को एक ही सेशन में अधिक से अधिक 5 बार स्वाइप किया जा सकेगा। यह उपयोगकर्ताओं को अपनी निजी जानकारी की और अधिक सतर्कता दिलाता है।

इसके अलावा, अब एटीएम और डेबिट कार्ड पर लिमिट को बढ़ा दिया गया है। आईएसबीआई की दर से आप अपने एटीएम के माध्यम से रोजाना 40,000 रुपये निकाल सकते हैं जबकि डेबिट कार्ड की लिमिट 1.25 लाख रुपये की हो जाएगी। यह उपयोगकर्ताओं को अधिक सुरक्षित महसूस कराएगा और उन्हें अधिक स्वतंत्रता देगा।
इसके अलावा, कार्ड के स्टैशनरी और एन्वेलपोपर्ट डिटेल्स का प्रिंट भी आवश्यक है। अब उपयोगकर्ता को अपने कार्ड के डिटेल्स का प्रिंट उपलब्ध कराना होगा। इससे उपयोगकर्ता की निजी जानकारी की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
इन सभी नियमों और दिशानिर्देशों का उद्देश्य यह है कि उपयोगकर्ताओं को उनकी निजी और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा प्रदान की जाए और उन्हें सुरक्षित बनाए रखा जाए। इससे वे अपने कार्ड का उपयोग करते समय अधिक सतर्क और सुरक्षित महसूस करेंगे।
इस प्रकार, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइंस क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के उपयोग में सुरक्षा और सतर्कता को बढ़ावा देने के लिए हैं। उपयोगकर्ताओं को इन नियमों का पालन करके अपनी वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सजग रहना चाहिए।
अगर आप भी Debit Card-Credit Card होल्डर हैं तो आपको इन नए नियमो के बारे में जान लेना चाहिए-
Two Factor Authentication:-
आरबीआई द्वारा जारी की गई नई दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी डेबिट और Credit Card पेमेंट्स को एक टू-फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन प्रोसेस के माध्यम से ही आगे बढ़ने की आज्ञा दी गई है। यह नई नीति इलेक्ट्रॉनिक कार्ड ट्रांजेक्शन्स की सुरक्षा को और बढ़ाने का प्रयास है। इस प्रोसेस के तहत, कार्डहोल्डर्स को अपने ट्रांजेक्शन को सुरक्षित बनाने के लिए एक अतिरिक्त वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
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इस प्रोसेस के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने Credit Card या डेबिट कार्ड का उपयोग करके लेन-देन करता है, तो उसे दो अलग-अलग फैक्टर्स की पुष्टि करनी होती है। पहला फैक्टर वह जानकारी होती है जो कार्ड के पासवर्ड, पिन या बायोमेट्रिक्स जैसी स्थापित जानकारी के माध्यम से प्राप्त की जाती है। दूसरा फैक्टर जानकारी होती है जो उपयोगकर्ता के पास होती है, जैसे उनका फोन या ईमेल आईडी, जिसके माध्यम से एक यूनिक कोड या टोकन प्राप्त किया जा सकता है।

यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया अधिक सुरक्षितता प्रदान करती है, क्योंकि यह किसी भी आपात स्थिति में Credit Card या डेबिट कार्ड के अनधिकृत उपयोग को रोक सकती है। इसके अलावा, यह एक अत्यधिक न्यूनतम सुरक्षा स्तर प्रदान करता है, जो इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को सुरक्षित बनाता है और चोरी या धारा २१६ के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
इस प्रकार, यह नई गाइडलाइन्स द्वारा बदले गए नियम और निर्देश इलेक्ट्रॉनिक कार्ड ट्रांजेक्शन्स को और अधिक सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा को बढ़ाते हैं। यह बदलाव उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित और विश्वसनीय लेन-देन का मार्ग प्रदान करते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन में भरोसेमंदी को बढ़ाता है।
कॉन्टैक्टलैस कार्ड ट्रांजेक्शन लिमिट:-
आरबीआई ने हाल ही में कार्डधारकों के लिए एक और सुविधा प्रदान करते हुए कॉन्टैक्टलेस कार्ड ट्रांजेक्शन्स की लिमिट में संशोधन किया है। अब कार्डधारक बिना पिन एंटर किए हुए 5000 रुपये तक के कॉन्टेक्टलैस पेमेंट्स प्रति ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। इस बदलाव के माध्यम से, आरबीआई की कोशिश है कि छोटे ट्रांजेक्शन्स के लिए डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ाया जा सके और उन्हें आसान बनाया जा सके।
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यह नई लिमिट के साथ, उपयोगकर्ताओं को बिना पिन या साइनेचर के छोटे राशि की लेन-देन की सुविधा मिलेगी, जो उन्हें जीवन को और अधिक सरल बनाएगी। इससे लोगों को बाजार में खरीददारी करते समय और अन्य स्थानों पर अपने दिनचर्या को आसान बनाने में मदद मिलेगी, और वे अपने पेमेंट को सुरक्षित भी महसूस करेंगे।
इस संशोधन से, छोटे व्यवहारिक लेन-देन के लिए डिजिटल भुगतान का प्रयोग बढ़ाया जा सकेगा, जिससे स्थानीय व्यापारिक समुदाय भी लाभान्वित होंगे। यह नया कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल पेमेंट्स की दिशा में और आगे बढ़ने में मदद करेगा, जिससे लोगों का वित्तीय लेन-देन और संभाल बढ़ेगा।
विदेश में कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा:
आरबीआई ने डेबिट और Credit Card के इंटरनेशनल इस्तेमाल पर कुछ सीमाएं लगाई हैं। कार्डधारकों को अपनी प्राथमिकता के अनुसार अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए कार्ड को सक्रिय या निष्क्रिय करना आवश्यक है। इस सुविधा के माध्यम से, कार्डधारकों को विदेश में उनके कार्ड के गलत इस्तेमाल से सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अलर्ट:
आरबीआई ने सभी बैंकों को अनिवार्य रूप से ग्राहकों को सभी प्रकार के कार्ड लेन-देन के लिए एसएमएस और ईमेल अलर्ट्स भेजने के निर्देश दिए हैं। ये अलर्ट्स रियल टाइम अपडेट की तरह होनी चाहिए और ट्रांजेक्शन होने के बाद ग्राहकों तक जल्दी से जल्दी पहुंचनी चाहिए, अधिकतम 5 मिनट के भीतर।
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फेल हुए ट्रांजेक्शन की लिमिट:
आरबीआई ने फ्रॉड और धोखाधड़ी से बचाव के लिए कार्ड ट्रांजेक्शन्स पर भी एक लिमिट लगा दी है। अगर कोई ट्रांजेक्शन फेल होता है, तो बैंक और वित्तीय संस्थान को एक निर्धारित समय में ग्राहकों को उसके पैसे का रिफंड करना होगा। इसके अतिरिक्त, यदि बैंक या वित्तीय संस्थान ने फेल हुए लेनदेन पर कोई चार्ज लिया है, तो उसे भी ग्राहक को लौटाना होगा।
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