Income Tax Saving का समय हर साल की तरह फिर से आ गया है। इस समय, ज्यादातर लोग टैक्स बचाने के लिए अपनी निवेश योजनाओं को देख रहे हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) का ऐलान किया है, जिसमें 7 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स छूट दी गई है। इसके विपरीत, 5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर पुराने टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के तहत छूट दी गई है।
यह नई टैक्स रिजीम और पुराने टैक्स रिजीम के अलावा, अगर किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी इन दोनों लिमिट से अधिक है, तो उसे इस सालाना आय पर टैक्स देना पड़ सकता है। इस विषय में व्यक्ति को अपनी आय को सही ढंग से निर्धारित करने की आवश्यकता होती है, ताकि वह अपनी कानूनी दायित्वों को निभा सके।
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इस समय, लोग विभिन्न निवेश योजनाओं में निवेश कर अपनी कमाई को Income Tax Saving के दायित्व से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोग अपनी निवेश योजनाओं में बदलाव कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेकर सही निवेश योजनाओं को चुन रहे हैं।

Income Tax Saving के लिए, लोग विभिन्न निवेश विकल्पों को ध्यान में रख रहे हैं, जैसे कि लाइफ इंश्योरेंस, प्रोविडेंट फंड, ईलाइटिक फंड, पेंशन योजनाएं, और नए टैक्स रिजीम के अनुसार किए गए निवेश। इन योजनाओं में निवेश करके, लोग अपनी कमाई को सुरक्षित करते हैं और उसे टैक्स के प्रभाव से बचाने का प्रयास करते हैं।
Income Tax Saving : टैक्स स्लैब (Tax Slab) एक तरह की आयकर नियम है जो भारतीय सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है और जो लोगों को उनकी आय के अनुसार टैक्स देने की दिशा में मार्गदर्शन करती है। यह नियम भारतीय आयकर विधेयक (Income Tax Act) के तहत लागू होता है और इसका पालन करना सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य होता है।
ओल्ड टैक्स रिजीम के अनुसार, सालाना 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है। यह नियम सालाना आय को साफ करता है कि वह अधिकतम स्तर तक आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। इसके बाद, 2.5 लाख से अधिक लेकर 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5% का टैक्स लगता है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति की सालाना आय 4 लाख रुपये है, तो उसे 5% के आयकर के रूप में 20,000 रुपये का टैक्स भरना होगा।
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Income Tax Saving : इसके बाद, 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 20% का टैक्स लगता है। अगर किसी की सालाना आय 7 लाख रुपये है, तो उसे पहले 5 लाख रुपये पर 5% का टैक्स लगेगा, और बाकी 2 लाख रुपये पर 20% का टैक्स लगेगा। इस रूप में, उसका कुल आयकर 5% के 1,00,000 रुपये और 20% के 40,000 रुपये का मिलकर 1,40,000 रुपये होगा।
अगर किसी की सालाना आय 10 लाख से अधिक है, तो उसे 30% का टैक्स भरना पड़ता है। इस तरह, टैक्स स्लैब के अंतर्गत, अधिकतम स्तर तक टैक्स देने की दिशा में निर्देशित किया जाता है।
Income Tax Saving : यह स्लैब नियमों का पालन करने से सरकार को आवश्यक धन इकट्ठा करने में मदद मिलती है, जिससे वह राष्ट्रीय विकास के कार्यों को आगे बढ़ा सके। इसके साथ ही, लोग भी अपनी आय के अनुसार टैक्स देने के लिए जिम्मेदारी सहज और स्पष्ट तरीके से निर्धारित कर सकते हैं। इससे सामाजिक और आर्थिक समानता बढ़ती है और निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए नागरिकों में विश्वास भी बढ़ता है।

Income Tax Saving : अधिक आय के लोगों को टैक्स स्लैब के माध्यम से अधिक टैक्स देने की जिम्मेदारी होती है, जो कि समाज में समानता का साधन करती है। इसके अलावा, इस प्रकार के आयकर नियम नेतृत्व में ताकत और प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार करते हैं, जो कि राजनीतिक और आर्थिक संरचना को मजबूत और सुदृढ़ बनाते हैं। इस प्रकार, टैक्स स्लैब एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र है जो समाज, अर्थव्यवस्था, और राजनीतिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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10.50 लाख की इनकम पर भी Income Tax Saving:-
Income Tax Saving : यदि आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है, तो आपको 30% का टैक्स भरना होगा, जो कि अनिवार्य है अगर आप इस आयकर स्लैब में पड़ते हैं। हालांकि, यहां एक महत्वपूर्ण बात है कि आप निवेश और छूट के लाभ का भी उपयोग करके टैक्स बचा सकते हैं।
Income Tax Saving : आयकर नियमों के अनुसार, आप निवेश और बचत के लिए निर्धारित योजनाओं में निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं। इन योजनाओं की सूची में आयकर विभाग द्वारा स्वीकृत पेंशन योजनाएं, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, निवेश योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, घर की ब्याज से भरता जा रहा ऋण और मुद्रांकन आदि भी आपको टैक्स बचाने की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।
इसके अलावा, आयकर के अधिनियम के तहत आपको टैक्स से मुक्ति प्राप्त करने के लिए छूटों का भी लाभ उठा सकते हैं। इसमें निवेश योजनाओं, बचत योजनाओं, बिजनेस एक्सपेंस, हाउस रेंट एलाउंस, मेडिकल इन्सुरन्स प्रीमियम आदि को शामिल किया जा सकता है।
इस तरह, यदि आपकी सैलरी 10.50 लाख रुपये है, तो भी आप निवेश और छूट के लाभ का उपयोग करके टैक्स की पूरी रकम बचा सकते हैं। इसके लिए, आपको सही समय पर सही निवेश की योजना बनाने और अपनी आय को बचाव में लगाने की आवश्यकता होती है।
अतः, अपनी आयकर की योजना बनाते समय, आपको निवेश और छूट के लाभ का भी ध्यान रखना चाहिए। इससे आप न केवल अपनी सालाना आय पर टैक्स कम कर सकते हैं, बल्कि अपने भविष्य के लिए भी आर्थिक सुरक्षितता प्राप्त कर सकते हैं।
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कैसे बचा सकते हैं 10.50 लाख इनकम पर टैक्स?
Income Tax Saving : आयकर की धारा 80C के तहत निवेश करने के लिए कई तरह की योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इस धारा के तहत निवेश किया गया धन आयकर नियमों के अनुसार कटौती का विषय बनता है। धारा 80C के तहत निवेश की शीर्ष सीमा 1.5 लाख रुपये है। इसलिए, आयकर के लिए छूट प्राप्त करने के लिए आपको अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश करना होगा।

- स्टैंडर्ड डीडक्शन: यह धारा 80C के अंतर्गत आता है, जिसमें आपको 50,000 रुपये तक की छूट मिलती है। इस छूट का लाभ लेने के लिए आपको केवल निवेश करना होता है और आपकी कुल छूटी राशि 1.5 लाख रुपये के निर्धारित सीमा के ऊपर नहीं जाती है।
- PPF (Public Provident Fund): यह एक प्रसिद्ध निवेश विकल्प है जिसमें आप नियमित रूप से निवेश करके अच्छी रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। PPF में निवेश करने पर आपको न केवल ब्याज की दर पर वार्षिक ब्याज मिलता है, बल्कि आयकर की धारा 80C के तहत छूट भी मिलती है।
- EPF (Employee Provident Fund): यह भी एक अच्छा निवेश विकल्प है, जो कि कामगारों को उनकी नियुक्ति के समय से ही प्रारंभ किया जाता है। यह निवेश आयकर की धारा 80C के तहत छूट प्रदान करता है।
- ELSS (Equity Linked Savings Scheme): यह एक प्रकार का म्यूच्यूअल फंड है जो कि निवेशकों को निवेश के साथ-साथ आयकर की छूट भी प्रदान करता है। यह भी आयकर की धारा 80C के तहत आता है।
- NSC (National Savings Certificate): यह एक अन्य प्रकार का सरकारी निवेश है जो कि नियमित रूप से निवेश करने के लिए उपलब्ध है। NSC में निवेश करने पर आपको आयकर की धारा 80C के तहत छूट मिलती है।
- NPS (National Pension System): यह एक और प्रमुख निवेश विकल्प है जो कि आयकर की धारा 80CCD (1B) के तहत आता है। इसमें निवेश करने पर आपको अतिरिक्त 50,000 रुपये की छूट मिलती है।
- Home Loan Interest: यदि आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है, तो आपको होम लोन के ब्याज पर आयकर की धारा 24B के तहत 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।
- Medical Insurance Premium: आप अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदकर आयकर की धारा 80D के तहत 25,000 रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं।
- Donations: आयकर की धारा 80G के तहत अल्पसंख्यक एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को दान करने पर आपको आयकर में 25,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है।
इन सभी निवेश विकल्पों का उपयोग करके आप आयकर की धारा 80C के अंतर्गत निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं। इसके अलावा, आप अन्य आयकर सेक्शन जैसे 80D, 80G, 24B आदि के तहत भी टैक्स बचा सकते हैं। इससे आपकी कुल आयकर भरने की राशि कम हो जाती है और आपका वित्तीय संरक्षण बढ़ जाता है।
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