Recession in UK-Japan: Britain-Japan Recession की चपेट में… इन 18 देशों में भी आहट, भारत की बल्ले-बल्ले!2 min read

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Global recession का खतरा एक बार फिर से सामने आया है और इसकी चर्चा विशेषकर Japan and Britain जैसी बड़ी economies के Recession में आने के बाद और अन्य कई देशों में भी तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारण हैं जो इस मंदी के उदय को समझाते हैं।

पहला कारण है आपसी trade war। International trade में तनाव बढ़ गया है, जिसका मुख्य कारण America और China के बीच trade war है। यह trade war दोनों देशों की economies पर असर डाल रहा है और इससे दुनिया भर में व्यापारिक गतिविधियों में घटाव आया है।

दूसरा कारण है energy values में वृद्धि। कई देशों में energy values में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे उद्योगों को decent amount में ऊर्जा की आपूर्ति मिलने में मुश्किल हो रही है और उनकी लागत भी बढ़ रही है। यह उद्योगों के लाभों को कम कर रहा है और इससे उनकी economy पर बुरा असर पड़ रहा है।

तीसरा कारण है production में कमी। कई क्षेत्रों में production में कमी हो रही है, जैसे कि Automobile, construction and electronics industries। यह उत्पादन में कमी आगे बढ़ने वाली मंदी की चेतावनी है, क्योंकि यह developing countries की value added production बेहद प्रभावित कर सकती है।

चौथा कारण है instability in financial markets। Instability in financial markets बढ़ रही है, जिससे investors का विश्वास कम हो रहा है और financial institutions भी संदेह में हैं। यह instability financial markets को अतिरिक्त instability में डाल सकती है और मंदी को और भी बढ़ा सकती है।

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इन सभी कारणों के कारण global Recession का खतरा मंडरा रहा है और यह एक सावधानी का संकेत है। Recession के उदय से पहले ही नेताओं और निर्धारितों को उचित कदम उठाना चाहिए ताकि अधिक नुकसान से बचा जा सके। इसके अलावा, global partnership और निवेश की बढ़ती मांग को ध्यान में रखकर सही नीतियों को बनाना भी महत्वपूर्ण होगा।

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Most countries को अपनी economies को strong करने और अपने निवेश को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वे Recession के संकट से निपट सकें। सरकारों को अपनी नीतियों को संशोधित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए और वित्तीय संस्थाओं को भी अपने निवेश की समीक्षा करनी चाहिए।

सामान्य लोगों को भी अपनी financial situation को सुधारने के लिए सावधान रहना चाहिए और संभावित Recession के संकट से निपटने की योजना बनानी चाहिए। इसके अलावा, अधिक निवेश के लिए सही अवसरों की तलाश करना भी महत्वपूर्ण होगा। Global recession का खतरा बढ़ रहा है और यह सभी के लिए एक चिंताजनक संकेत है। सही कदम उठाने और सही नीतियों को लागू करने से हम मंदी के संकट से निपट सकते हैं और अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बना सकते हैं।

Japan-Britain की Recession सुर्खियों में:-

Technical Recession के डर के बारे में चर्चा करते समय, विशेषकर Japan-Britain की स्थिति ने Global Economy के विपरीत प्रभाव का संकेत दिया है। इन दोनों देशों की इतिहास में हाल ही में हुई GDP में गिरावट ने उनके अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी चिंता बढ़ा दी है।

Japan के मामले में, यह एक trading nation होने के नाते economy के विपरीत प्रभाव का शिकार होने का खतरा है। Japan एक Excellent technological and industrial nation है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में excellence है, लेकिन तकनीकी Recession की वजह से उसकी economy पर असर पड़ रहा है। विशेषकर उद्योगों और निर्यात में गिरावट के कारण, जापान की GDP में कमी आई है। इसके अलावा, अच्छे स्तर पर Expected Investment and Productivity में कमी के चलते भी उसकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है।

दूसरी ओर, Britain के मामले में, यह एक collective nation होने के नाते और business activities में अपने महत्वपूर्ण स्थान के कारण उत्कृष्ट है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर Technical Recession का प्रभाव भी बड़ा है, जिसके कारण उसकी GDP में गिरावट आई है। विशेषकर वित्तीय सेक्टर में चुनौतियों के कारण, ब्रिटेन के अर्थव्यवस्था को संभालने में कठिनाई हो रही है।

Japan & Britain के इस दुःखद प्रकरण के अलावा, दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी Technical Recession का खतरा मंडरा रहा है। विशेषकर उन देशों में जहां Technical and industrial production में गिरावट की रिपोर्टें आ रही हैं, वहां economy को मंदी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

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इस प्रकार, global conflict की घड़ी में, technical recession का खतरा विभिन्न देशों के economy पर पड़ा है। यह समय है कि सरकारें और अर्थशास्त्री इस समस्या को गंभीरता से लें और उचित नीतियों को अपनाएं ताकि इस मंदी के असर को कम किया जा सके। साथ ही, व्यापारिक संबंधों में साझेदारी को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके।

Ireland and Finland लिस्ट में आए :-

Global standards के अनुसार, Economic Recession दुनिया भर के economies को प्रभावित करती है। इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न देशों में technological and mass recession का खतरा संभावित है, जो उनकी economies को अवरुद्ध कर सकता है। यह चर्चाएं अधिकतर उन देशों को घेर लेती हैं जिनकी अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही कमजोर हो चुकी हैं, जैसे कि Japan, Britain, Ireland, and Finland।

Ireland, and Finland के मामले में भी, इन देशों ने चौथी तिमाही में Recession का सामना किया है। Irelandकी अर्थव्यवस्था में Q3 में 0.7 % और Q4 में 1.9 % की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि Finland की GDP में इसी अवधि में क्रमशः 0.4 % और 0.9 % की गिरावट आई है।

यह तथ्य स्पष्ट करता है कि विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस वक्त अत्यधिक प्रभावित हो रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप technological and mass Recession का खतरा संभावित है। इस प्रकार, सार्वजनिक नीतियों और अर्थशास्त्रीय उपायों के माध्यम से यह मंदी को संभाला जा सकता है और विश्व की अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सकता है।

इन 10 देशों में Recession की आहट:-

जब हम economy के बारे में बात करते हैं, तो इसमें कई तत्व होते हैं जो उसे प्रभावित कर सकते हैं। इन तत्वों में GDP एक महत्वपूर्ण होता है, जो किसी देश की आर्थिक स्थिति का माप होता है। जिस देश की GDP में गिरावट होती है, उसे Recession का सामना करना पड़ता है। इस लेख में, हम चार ऐसे देशों के बारे में विचार करेंगे जो चौथी तिमाही में अपनी GDP में गिरावट का सामना कर रहे हैं।

पहले देश है Denmark, जो कि एक adventure and economic रूप से स्थिर देश है। इसके बावजूद, इस देश ने चौथी तिमाही में अपनी GDP में गिरावट का सामना किया है। यह गिरावट Denmark की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है और लोगों की आर्थिक स्थिति पर असर डाल सकती है।

दूसरे देश है Luxembourg , जो कि एक छोटे लेकिन धनी देश है। इस देश की अर्थव्यवस्था को आमतौर पर बहुत स्थिर माना जाता है, लेकिन चौथी तिमाही में गिरावट का सामना करने का मतलब है कि यह देश भी मंदी के प्रभाव में है। इससे Luxembourg की अर्थव्यवस्था को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

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तीसरे देश है Moldova, जो कि एक छोटा और गरीब देश है। इसे पहले से ही आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है, और चौथी तिमाही में गिरावट का सामना करने के बाद, अधिक असहाय लोगों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

चौथे देश के रूप में है Estonia, जो कि एक बड़े और विकसित अर्थव्यवस्था है। इस देश की GDP में गिरावट का सामना करना चिंताजनक है, क्योंकि यह एक उदाहरण हो सकता है कि आर्थिक स्थिति के विपरीत होने पर भी विकसित देशों को भी मंदी का सामना करना पड़ सकता है।

चौथी तिमाही में इन चार देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट का सामना करने के बाद, हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में Recession का सामना करने वाले लोगों को समर्थन प्रदान करने के लिए सरकार को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। इस समय, विभिन्न उपायों की जरूरत होती है, जैसे कि आर्थिक सहायता प्रोग्राम, नौकरी के अवसरों का विस्तार, और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों की अनुकूलन। इन सभी कदमों का लक्ष्य होता है अर्थव्यवस्था को सुधारना और मंदी को हल करना।

इन चार देशों की जीडीपी में पहली बार गिरावट:-

चौथी तिमाही के जीडीपी नतीजों के आधार पर, कुछ अन्य देशों ने भी Recession की आहट महसूस की है। इनमें से छः देशों ने पहली बार ग्रोथ में गिरावट का सामना किया है, जो कि आर्थिक संकट के संकेत के रूप में व्यापक माने जा रहे हैं। Malaysia, Thailand, Romania, Lithuania, Colombia and Germany जैसे देशों के GDP में गिरावट का संकेत आया है। इनमें से Germany की GDP में 0.3 % की गिरावट हो गई है, जो कि Europe की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

यह संकेत स्पष्ट रूप से बताता है कि global economy के संकेत बुरे हो रहे हैं और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन देशों को अपनी आर्थिक नीतियों को संशोधित करने और संगठन की आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, यह देश और अन्य भी संभावित उपायों की तलाश कर सकते हैं जो economy को पुनर्स्थापित कर सकते हैं और मंदी को समाप्त कर सकते हैं।

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Recession के बावजूद भी Indian Economy में तेजी जारी

दुनिया भर में Recession की हालत की समीक्षा करते समय इस विवादास्पद स्थिति का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। वहाँ कुछ देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था Recession के चपेट में हैं, जबकि कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाएँ तेजी से उन्नति कर रही हैं। भारत ऐसा देश है जो विशेष रूप से अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के प्रयासों में लगा है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाएं ने भी इसे सराहा है और उम्मीद की है कि भारत दुनिया में अर्थव्यवस्थाओं की पहली पंक्ति में आएगा।

इसके बावजूद, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का असर भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। विश्व अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ावों की संभावना हमेशा बनी रहती है और अगर किसी भी क्षेत्र में मंदी होती है, तो उसका प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ सकता है। इसलिए, भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों के असरों को समझने और उनके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

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